दुनिया की हर माँ को समर्पित मेरी यह कविता - Soul of Soul :
मेरे जीवन की पहली स्वरचित कविता माँ पर थी जो मैंने अपनी माँ को खोने से कुछ माह पहले सन 2006 में लिखी थी । उस वक़्त मुझे यह भी नही पता था कि जिस विषय पर मेरी पहली लेखनी जा रही है वो अध्याय मेरे जीवन से हमेशा के लिए खत्म होने जा रहा है ।
माँ, आज आपको गये चौदह वर्ष बीत गये लेकिन मेरा वनवास समाप्त नही हुआ, धीरे धीरे आपकी कुछ यादें धुंधली जरूर होती गयीं पर आपके जाने के बाद न जाने कितनी माताओं में मैंने आपको पा लिया ।
एक बार मेरे एक दोस्त की माँ ने मुझसे कहा था मैं जानती हूं मैं तुमसे मातृवत बहुत प्रेम करती हूं पर फिर भी मुझे पूरा विस्वास है कि कोई भी माँ तुम्हे मुझसे कम प्रेम नही करती होगी, तुमने अपनी माँ को खोने के बाद हजारों माताओं का प्रेम और स्नेह दोनों पा लिया ।