पिताजी की स्मृतियो को जीवित रखने के लिए बहुत बहुत आभार।धन्यवाद।कभी आइयेगा तो ज़रूर मिलिएगा।
वह मुझे जागृत रखने के लिए मुझमे हमेशा जीवित रहेंगे ।जब भी छिबरामऊ को याद करता हूं तो उनके बिना अधूरा से लगता है, कभी उधर आया तो उनके शांतिनिकेतन (उनके द्वारा स्थापित स्कूलों) में जरूर आऊंगा ।
Thank you...- Ajay
पिताजी की स्मृतियो को जीवित रखने के लिए बहुत बहुत आभार।धन्यवाद।
ReplyDeleteकभी आइयेगा तो ज़रूर मिलिएगा।
वह मुझे जागृत रखने के लिए मुझमे हमेशा जीवित रहेंगे ।
Deleteजब भी छिबरामऊ को याद करता हूं तो उनके बिना अधूरा से लगता है, कभी उधर आया तो उनके शांतिनिकेतन (उनके द्वारा स्थापित स्कूलों) में जरूर आऊंगा ।
Thank you...
Delete- Ajay