Monday, July 21, 2025

मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्।

"मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्। मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्य चापि नियोजयेत् ॥"
- आचार्य चाणक्य

(मन में सोचे हुए कार्य को वचनों से प्रकाशित नहीं करना चाहिए अर्थात किसी को बताना नहीं चाहिए । मन्त्र के समान गुप्त रखकर उसे नियोजित करना चाहिए )


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