मैं उदास इसलिए नहीं रहा कि मुझे प्रेम नहीं मिला मैं उदास इसलिए रहा कि मैंने जिसको भी दिया प्रेम लगा कम ही दिया किसी का माथा चूमते वक़्त लगा कि उसके होंठों को चूमना छूट गया किसी के होंठ चूमते वक़्त लगा शायद घड़ी भर और वक़्त मिलता तो, चूम लेता उसकी आंखें, सोख लेता उसका दुःख जो उसके आँखों के नीचे जमा बैठा था। किसी से जब सब कुछ कहा लगा कि चुप्प रहकर साथ चलना छूट गया किसी के साथ घण्टों चुप्प बैठा तो उसके कांधे पर सिर रख 'मैं तुम्हारे गहन प्रेम में हूँ' कहना छूट गया। इस तरह हर बार प्रेम करते वक़्त कुछ न कुछ छूटता रहा और हर बार उसके दूर चले जाने पर लगता रहा जितना भी किया प्रेम, कम ही तो किया जिसे भी दिया प्रेम, कम ही तो दिया।
Thursday, October 30, 2025
किसी का माथा चूमते वक़्त :
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