पितरों की याद मे
(तर्पण कालम, दैनिक जागरण, प्रयागराज) :
मेरे लिए यह एक बड़े गर्व की बात है कि मैं एक ऐसे गांव से ताल्लुक रखता हूं जिसके हर घर में कोई न कोई सरकारी शिक्षक है या रहा है ।
मेरा जन्म अपने ननिहाल अयोध्या (कोरांव) प्रयागराज में हुआ था इसलिए मेरा लगाव इस मिट्टी से अत्यंत गहरा है और मेरे जीवन पर इस मिट्टी की अमिट छाप रही है ।
मेरे नाना पंडित श्री शंकर प्रसाद शुक्ल छढ़गड़ा शासकीय माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य थे जिनका जीवन हमेशा लोक हित में समर्पित रहा, उनका जीवन एक चलती फिरती गीता था, वह जिधर चलते थे लोग उनका अनुकरण करते थे ।
मुझे याद है सैकड़ो बुजुर्गों की बैंक पासबुक हमेशा उनकी अलमारी में पड़ी रहती थी और वह सबके खाते में हर महीने कुछ न कुछ पैसे अपनी ओर से हमेशा डालते रहते थे । अपने बचपन में मैंने कई ऐसे लोगों को देखा था जिनका कोई न था या जिनका अपने परिवार पर भरोसा नहीं रहता था तो वह मेरे नाना जी से कहते थे कि यह सारे पैसे आप अपने खाते में ले लीजिए पर वह कहते थे कि मुझे इसकी जरूरत नहीं मैं एक गवर्नमेंट अध्यापक हूं और मेरा एक ही बेटा है (श्री चन्द्र प्रकाश शुक्ल, प्रवक्ता एवम उप प्राचार्य गोस्वामी तुलसी दास कृषक इण्टर कॉलेज कोरांव) भगवान ने मुझे बहुत दिया है आप इसे अपने स्वास्थ्य पर खर्च कीजिए या फिर मंदिर में लगा दीजिए ।
मुझे याद है मेरे बचपन के दिनों में 1990 के दशक में उन्होंने अयोध्या में इलाहाबाद बैंक एवं प्रकाश इंटरमीडिएट कॉलेज के लिए भवन निर्माण करा कर क्षेत्र एवं समाज के लिए एक ऐसा दीप प्रज्वलित किया जो आज भी हजारों लोगों को रोशनी दे रहा है ।
मुझे याद है जब मैं बहुत छोटा था तब वह मुझे आग से जली राख पर हिंदी, अंग्रेजी एवं गणित से परिचय कराया करते थे, मेरे सबसे प्रारंभिक शिक्षक वही थे ।
पितृपक्ष के इस अवसर पर मै अपने नाना - नानी, मम्मी तथा गांव के अन्य सभी बुजुर्गों एवं पूर्वजों को याद कर उन्हें प्रणाम करता हूं जिनका स्नेह एवं वात्सल्य मुझे अपने बचपन में मिला, जिनकी शिक्षाओं से मेरी वर्तमान संरचना का आज निर्माण हुआ...
धन्यवाद पत्रकार भाई श्री रमेश जी मेरे विचारों को दैनिक जागरण मे स्थान देने के लिए...
~ डॉ० अजय तिवारी
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