प्रारब्ध कर्म का वह भाग है, जिसका फल वर्तमान जीवन में भोगना तय है। यह पिछले जन्मों के संचित कर्मों (संस्कारों) का वह अंश है, जो वर्तमान अवतार में हमारे जन्म, आयु और जीवन के अनुभवों को प्रभावित करता है। सरल शब्दों में, प्रारब्ध हमारा भाग्य या वह सब कुछ है जो घटित होना निश्चित है।
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